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dineshpaliwal3144
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Dinesh Paliwal

मेरी रूचि हिन्दी कविता लेखन और गायन में है। कोशिश करूँगा किअच्छी विषय वस्तु से ये रचनात्मक सफर यादगार बना रहे ।। Like subscribe and follow please to motivate me for doing better.🙏🙏

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Dinesh Paliwal

White ।।जीवन और पंचतत्व ।। 

मेरी कुछ बातें तुम उन तक
उनकी मुझ तक पहुंचाती थी
वो खुशबू उसके गेसू की तुम 
हर झोंके मुझ तक लाती थी
मैं साधक तो तुम साधन मेरी
बहती चलती बस संग मेरे
जब जब  मायूसी छाई तब
तुम पवन मुझे बहकाती थी ।।
                      जारी है......

©Dinesh Paliwal
  #alone
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Dinesh Paliwal

BeHappy आह निकलती निज पीड़ा तो
तुम जिंदा हो जतलाती है
भर आए आंखें पर दुख तो
ये मानवता कहलाती है ।।

©Dinesh Paliwal
  #beHappy
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Dinesh Paliwal

ठोकर खा कर गिरना ही
सिखलाता पथ की पहचान
पत्थर सहेज के हर ठोकर का
जो सीढ़ी गड़ दे वो  इंसान ।।

©Dinesh Paliwal
  #Light
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Dinesh Paliwal

गलती तो इंसान की फितरत 
माफ करे वो है भगवान 
सफर ये गलती से माफी का
उत्थान की बस येही पहचान ।।

©Dinesh Paliwal
  #Luminance
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Dinesh Paliwal

heart अधर ढूंढते मुस्कानों को
कोलाहल के अंधियारों में 
बैठा सोचा करता हूं बस
क्या करता इन गलियारों में
बातें तब की,जाने कब की
भोर कि तो थी कुछ शब की
ये मन नई उमंगों के बाने 
उम्मीदों के ताने सीता है
तब तब लगता है मुझमें 
अब भी ये बचपन जीता है ।।

©Dinesh Paliwal
  #Heart
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Dinesh Paliwal

कैसे बंधन कैसे अपने 
सब ही तो मतलब के मारे 
जब तक तुमसे मिलता ईंधन 
तुम तब तक ही लगते प्यारे ।
जिव्हा का और अंतर्मन का 
अब तारतम्य बस टूटा है 
सिर्फ शोर और है शोर कीमती 
सच पर भारी हर झूठा है ।
कैसे अब गुल खिल सके यहां 
जो हर ख्वाहिश ही दुश्मने चमन 
मुर्दों की बस्ती में जाने क्यों 
साँसें ढूँढ़ रहा है पागल मन ।।

©Dinesh Paliwal
  #thepredator
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Dinesh Paliwal

वो चमकती चांदनी सी 
मैं तिमिर सा शेष हूँ 
वो भव्य सा कोई भवन 
मैं तो खड़ा अवशेष हूं ।।
जो दीप्त हो लौ की तरह 
वो बस दमकती हर तिमिर 
ख़ुद को समेटे फिर रहा 
मैं उस तिमिर का वेष हूं।।

©Dinesh Paliwal
  #thelunarcycle
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Dinesh Paliwal

Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं आशिक हूँ दीवाना हूँ 
जो लय में हूँ तराना हूँ 
मेरी फितरत में शोखी है
मुहब्बत का फसाना हूं ।।
जो मानो तुम मुझे रहबर
तुम्हारे ये गम हैं सब मेरे
है मुकद्दस आशिकी मेरी
वफ़ा में बस सयाना हूं ।।
जो चाहो आजमालो तुम
कसौटी पर किसी अपनी
न कभी मायूस तुम होगे
मैं ऐसा एक खज़ाना हूं ।।

©Dinesh Paliwal
  #Sands
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Dinesh Paliwal

कैलेंडर पर तारीख बदलती ,
आता और नया एक साल,
बदला सा तो कुछ भी नहीं ,
अपना वही पुराना हाल,
सोच वही है,वही चलन है,
यादों की सर्दी की गलन है,
चल कुछ तो बदलें खुद में,
कुछ तो हट कर कर जाएं,
माना सफर उन्हीं राहों का ,
अब हम अपनेमन की पायें।।
ऑनलाइन या ऑफलाइन ही
भर लें  खुशियों से अपनी कार्ट
आते साल में दे दें खुद को
एक खूबसूरत सा तू रिस्टार्ट ।।

©Dinesh Paliwal
  #happynewyear
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Dinesh Paliwal

हम ऐनक बदलते रहे उम्र भर
न दीदारे मंजिल अब तक हुआ
पलट के जो देखा अपना सफर
खोट का कारण नजरिया मुआ ।।

©Dinesh Paliwal
  #Light
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