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मैंने अपना हाल-ए-दिल, सुनाया जब जमाने को, फ़सान

मैंने  अपना  हाल-ए-दिल, सुनाया जब  जमाने को,
फ़साना  समझ  बैठे,  मेरे  दिल  के  अफसाने  को।
शमा  नीलाम  हुई  सरेआम,  इश्क़  के   बाज़ार  में,
रुसवाईयाँ हुई प्यार की, समझ ना सके परवाने को।  #हाल_ए_दिल_काव्य_संगीत
👉समय सीमा आज 1:00 Pm से कल 01:00 Pm तक है,प्रतियोगिता में भाग लेने के बाद comment में time+Done  के साथ अपनी रचना भी लिख दीजिए,ताकि विजेता घोषित करने वक़्त विजेताओं को सूचित करना ना पड़े,, 

🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 13 में आपका स्वागत करता है। आप चार पंक्ति में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें। #काव्य_संगीत 

 #yqdidi #yqbaba 
👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें।
मैंने  अपना  हाल-ए-दिल, सुनाया जब  जमाने को,
फ़साना  समझ  बैठे,  मेरे  दिल  के  अफसाने  को।
शमा  नीलाम  हुई  सरेआम,  इश्क़  के   बाज़ार  में,
रुसवाईयाँ हुई प्यार की, समझ ना सके परवाने को।  #हाल_ए_दिल_काव्य_संगीत
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