ले लेना सुगंध सुमनों की तोड़ उन्हें मुरझाना क्या प्रेम हार पहनाना लेकिन प्रेम पाश फैलाना क्या प्यार किसी को करना लेकिन कह कर उसे बताना क्या दे कर हृदय हृदय पाने की आशा व्यर्थ लगाना क्या - हरिवंश राय बच्चन ©Arpit Mishra हरिवंश राय बच्चन