White " यादें अनकहीं " कुछ अपने बनें, कुछ बैगानें बनें। जो बैगानें बनें , उनसे न कोई गिला-शिकवा हैं। पर! जो पराये होकर भी अपनें बनें उनका शुक्रगुजार हैं तहें-दिल से। सफर यही तक था। अच्छा रहा। कुछ यादें अनकही रहीं। और कुछ जिंदगी भर की यादगार बन गई। यूंही सफर चलता रहेगा। ऐ-जिंदगी.... ©Geeta Sharma pranay #Sad_Status_यॉंदें