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शीर्षक -वो लिखा ही नहीं... सब शब्दों













शीर्षक -वो लिखा ही नहीं...


सब शब्दों में लिख दिया , पर वो लिखा ही नहीं.....
इतिहास भूगोल से लेकर शासन के राजनीतिक तक
कुछ आपदाओं के, तो कुछ अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों तक
हमने तो गीत  में उसे लिया, पर वो लिखा ही नहीं....

कौन कहें, वक्त पर खाओ, 
कौन कहें थोड़ी देर सो भी जाओ 
कौन कहें शब्दों के भावों को बदलों 
कौन कहें तुम वो भी लिखो.....2 

कौन कहें देश महादेश की खबर भी रखो
अंग्रेज नहीं बनना है पर तुम द हिन्दू अखबार भी रखो
लाल चाय के संग  तुम वो भी बातें लिख ही डालो...
अरे यार मैं तो वो लिखा ही नहीं ...-2  

कौन कहें कि भूख से भूखमरी पर बातें करों
नींद जब आएं तो सड़क किनारे खड़े आंखें याद करो 
संघर्ष मत लिखो मज़ाक लगेगा सभी को.... 
कौन कहें , तुम भी एक दिन मौज मस्ती भी करते रहो... 

बल्ब के रातों में यू ही किताबों में दिन रात बीता डालों
सामने घंटों से नहीं ,उजाले अंधेरों से दिन रात को जानो
हां कभी किसी दिन सूर्य से आंखें दो चार कर लो...
आंखें आखिर में दुःख जाएं तो  उन्हें भी याद कर लो ..

वो लिखा ही नहीं तुम ......
दो चार शब्द अपने लिए भी लिख लो.....-2

©Dev Rishi
  #fisherman #अपनापन