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नींद आज आँखों से, बगावत कर बैठी है। शायद कुछ खारे

नींद आज आँखों से, बगावत कर बैठी है।
शायद कुछ खारे सपनों की, सजावट कर बैठी है।

सपने हमेशा मीठे हों,  ये रोज़ नहीं होता।
उन पर हमारी उम्मीदों, का बोझ नहीं होता।

नजदीकियाँ न पूँछो,  हैं मीलों की दूरियाँ।
ऐसे ही महल सपनों का, जमींदोज़ नहीं होता।

खोजती हूँ कुछ फुर्सत के पल,  तेरे साथ के मगर।
ये जो खालीपन है ये, किसी का  दोस्त नहीं होता।

क्या करूँ इस चाहत का , जो उम्मीद कर बैठी है।
मेरी रूह भी अब तेरी , ताकीद कर बैठी है।

चलता रहेगा सिलसिला, चाहत का उम्र भर।
तेरी यादें मेरी आँखों से ,मुहब्बत कर बैठी हैं।।

🍁🍁🍁

©Neel
  चाहत का सिलसिला 🍁
archanasingh1688

Neel

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चाहत का सिलसिला 🍁 #शायरी

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