बिखरे हुए से अंधेरे हैं मुझमें, ऐसी रातों को तुम अपनाओगे क्या? अक्सर खयालों से बेचैन रहती हूँ, हाथ थामकर गले लगाओगे क्या? ©amrit #endure_rhythm