" लिखा क्या जाये किस आसार से गुजरे हैं , छु के हसरतों को किस पनाह से गुजरे हैं , थाम लो ठहर जाऊंगा कहीं तेरे लिए , बहकने के लिए कहीं कोई रास्तों की कमी नहीं." --- रबिन्द्र राम— % & " लिखा क्या जाये किस आसार से गुजरे हैं , छु के हसरतों को किस पनाह से गुजरे हैं , थाम लो ठहर जाऊंगा कहीं तेरे लिए , बहकने के लिए कहीं कोई रास्तों की कमी नहीं." --- रबिन्द्र राम