दस्तक दे जा रात है ,जरा सा बाकी जख्म अभी भरे नही शायद दर्द और भी हो बाकी... फिर भी शायद कोई सुकून मिले तेरा है आस अभी आना है बाकी ऐ जिंदगी तू आ भी जा है रात अब ज़रा सा ही बाकी दे जिने की उम्मीद जरा थोडा़ सा मुझे जीना है बाकी अब सासों को थाम ले जरा कुछ कहने चला हूँ शायद कोई किस्सा हो अभी भी बाकी....... ..................... ©Vishal Singh #तूम #WForWriters