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पूर्ण चँद्र पूर्ण चँद्र की धवल किरण करती है

पूर्ण  चँद्र

पूर्ण  चँद्र  की  धवल  किरण
करती है निशा का आलिंगन।

अनुपम है अलौकिक क्षण है
सुंदर मनहर यह मधुर मिलन।

मंद पवन के शीतल झौंके
खेल रहे हैं तृण, तरुवर से।

नन्हीं नन्हीं ओस की बूंदे
बिखर रही हैं अंबर से।

चमक चाँदनी बिछी हुई है
विस्तृत धरती और गगन में।

मुख निहारती चपल चाँदनी
शांत स्वच्छ जल दर्पण में।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #पूर्ण_चंद्र
पूर्ण  चँद्र

पूर्ण  चँद्र  की  धवल  किरण
करती है निशा का आलिंगन।

अनुपम है अलौकिक क्षण है
सुंदर मनहर यह मधुर मिलन।

मंद पवन के शीतल झौंके
खेल रहे हैं तृण, तरुवर से।

नन्हीं नन्हीं ओस की बूंदे
बिखर रही हैं अंबर से।

चमक चाँदनी बिछी हुई है
विस्तृत धरती और गगन में।

मुख निहारती चपल चाँदनी
शांत स्वच्छ जल दर्पण में।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #पूर्ण_चंद्र