कुछ खास नहीं वो आम सी लड़की थी हमेशा गुम सुम सी रहती थी पूछा था उससे सब ठीक तो है न बोली नहीं मै बीमार रहती हुँ क्योँ आखिर परेशानी क्या है एक दम से भावुक हो बोली है कुछ मुश्किलें मुझे दिखाने जाना है फिर हर बात मुझसे बताती पता नहीं कब उसको मुझ पर यकीन हो गया और फिर अच्छे दोस्त और अब सब कुछ हर बात जिद कर मनवा लेती अब तो बिना बात किये दिन नहीं गुजरती हर वक्त उसका इंतज़ार होता नहीं बता सकता वो कब आम से खास हो गयी हां खास हो गयी ©ranjit Kumar rathour आम से खास