नदी के किनारे चलो आज़ इज़हार–ए–मोहब्बत करते हैं। देख प्रकृति की ख़ूबसूरती मचलते अरमान को काबू करते हैं बहती हवा की हिलोरे दिल को बहलाती है। नदी जल तन मन को शीतलता दे जाती है। सुकून मेरे दिल को मिलता है जब तुम आसपास होती हो। अपनी जीवन के प्रकृति में अपना सुधबुध में खो बैठते हो। क्या कहूँ कैसे कहूँ दिल मेरा फ़िदा हुआ है। देखो नज़ारे दिल को भाए चारों ओर सुंदर फिज़ा है। ♥️ Challenge-964 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।