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नेहा
अपनों को खोने के डर ने, 'नेह' को और दर्द दिया। 🎀 जो डर गया वो मर गया 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-183) "सिंदूर" को जीतने के लिए "जो डर गया वो मर गया" पर कोलाब करना अनिवार्य है। 🎀 चार लेखकों को मिलकर कोलाब करना हैं और कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो। डराना है मारना नहीं है। 🤣🤣
नेहा
ये सिंदूर कुछ कहता है, बाबुल की लाड़ली बेटी को, बहू की जिम्मेदारी देता है। सिंदूर की रेखा के अंदर, मर्यादा की सीमा देता है। प्रेम और त्याग की मूरत बनकर, जीने की सीख देता है। जिसने दिया है माँग में सिंदूर, उससे रक्षा का वचन लेता है। दो दिलों को 'नेह' के बंधन में, ये सिंदूर अमृत सा बाँध देता है। 🎀 Challenge-183 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। सिंदूर पर अपनी रचना लिखिए। 😊 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है। 🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह के नियम एवं निर्देश अवश्य पढ़ लें। बाक़ी सभी ने हमारी ही नकल की है। 😊
Dr. Naveen Prajapati
बन जीवन संगिनी संग चलूँ , मीत मेरे मत इन्कार करो इंद्रधनुष से रंग भरकर, मेरे बेरंग जीवन का श्रृंगार करो बन सहभागी सब सुख -दुख सहूँ, अर्धांगिनी बना अंगीकार करो आपस की तकरार त्यागकर, उज्ज्वल भविष्य पर विचार करो सुदृढ़ संकल्प से सत्कार करूँ, संवेग का मत तिरस्कार करो मेरा सरल स्वभाव स्वीकार कर,सब अंत अब अंतर्विकार करो बन प्रेममुग्ध प्रेमिका कलरव करूँ, मत शांत मेरी किलकार करो मेरा सातों जन्म साथ निभाकर, अन्तर्मन से दूर अन्धकार करो #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. 🎀 Challenge-234 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
Dr. Naveen Prajapati
हर मुखौटे के पीछे, एक बिखरा हुआ इंसान छिपा होता है, जो व्यस्त होता है, अपने - पराए की पहचान करने में... हर आइने के पीछे , एक अनजान शख़्स छिपा होता है, जो उत्सुक होता है, अपने खुद के चेहरे की पहचान करने में... हर आशा के पीछे, एक बेबस इंसान छिपा होता है, जो लाचार होता है, एक सच्चे मददगार की पहचान करने में... हर कामयाबी के पीछे, एक कर्मठ इंसान छिपा होता है, जो जिज्ञासु होता है, अपनी ही गलतियों की पहचान करने में... हर रिश्ते के पीछे , एक अनोखा विश्वास छिपा होता है, जो अंधा होता है, अपने सच्चे प्यार की पहचान करने में.. #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक 🎀 Challenge-198 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
Dr. Naveen Prajapati
वो एक लम्हा, जो तुम्हारे साथ बिताया था कभी... अब भूल गई क्या ? तुमने भी हमसे दिल लगाया था कभी... वो तेरी मासूमियत, अपनों से भी लड़ गया था कभी... सिर्फ तुम्हारे लिए ! तुम्हें पाकर बहुत कुछ खोया था कभी.. वो अंधेरी रातें, तुम्हें सीने से लगाया था कभी... आज चुप क्यों है ? रुठने पर, न जाने कितनी बार मनाया था कभी... वो सुबह की भोर, बस एक ही गीत गुनगुनाया था कभी... जो आज तू खुश है ! उस खुशी को भगवान से लड़कर लाया था कभी... वो आंँखों के आंँसू, जिन्हे न पोंछ पाया हूंँ कभी, क्या तुझे आभास है ? तुम्हारे जाने के बाद अंदर से न मुस्कुराया हूंँ कभी... #dr_naveen_prajapati#शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. 🎀 Challenge-197 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।
Dr. Naveen Prajapati
मजनू को लैला की, रांँझा को हीर की राधा को श्याम की, सीता को राम की । धनुर्धर को तीर की, निर्वस्त्र को चीर की; प्यासे को नीर की, सिंहासन को वीर की । आत्मा को शरीर की, मानव को ज़मीर की; अग्नि को समीर की,अभागे को तक़दीर की । धरती को सूरज की, पंक को नीरज की; चकोर को चांँद की, सिंदूर को मांँग की । माली को फूल की, वृक्ष को मूल की; धोबी को धूप की, शिल्पकार को रूप की । वृद्ध को लाठी की, कुम्हार को माटी की; दीए को बाती की, कवि को ख्याति की । अंतरंग को शुद्धि की, समाज को समृद्धि की; विद्यार्थी को बुद्धि की, संन्यासी को सिद्धि की । भूखे को पकवान की, सेना को जवान की ; बांझ को संतान की, बेघर को मकान की। अज्ञानी को ज्ञान की, डॉक्टर को सम्मान की; देश को संविधान की, जीवन को विज्ञान की । संबंध को विश्वास की, रूह को एहसास की; मिट्टी को उच्छवास की, भोगी को विलास की अन्धकार को प्रकाश की, देश को विकास की; घमंडी को विनाश की ,और विचारों को निकास की । #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. हे प्रियतम ! मुझे तुम्हारी जरूरत उतनी है, जितनी - मजनू को लैला की, रांँझा को हीर की राधा को श्याम की, सीता को राम की ।
Dr. Naveen Prajapati
तुम्हारी सादगी से प्यार हुआ था, पर हृदय की सुंदरता झलका गए , तुम्हारी नज़रों के इशारे... तुम्हें समझ पाना काफी मुश्किल था, पर काफी हद तक समझा गए, तुम्हारी चर्चा के हरकारे ... तुम्हारे गेसुओं में उलझा पड़ा था, पर सारे मसले सुलझा गए, तुम्हारे कजरे के सितारे... तुम्हारे मन को पढ़ना चाहता था, पर जीवन राग पढ़ा गए, तुम्हारे अंतरंग के इकतारे... तुम्हें दिल में बसा लेना चाहता था, पर मेरा दिल ही चुरा गए, तुम्हारे जज्बातों के पिटारे... #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है.. 🎀 Challenge-193 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।
Vaghela Jateen
ना प्यास पानी की है ना भूख भोजन की बस तलाश है एक मंजिल की दर दर भटकना है खुद को जंजोलना है मिटाकर हर गलतफहमियां साबित खुद को करना है यूं ही बनजारा बनकर रेत में नहीं भटकना है रेगिस्तान की बुझती प्यास नहीं फिर भी मंज़िल की ख़तम आस नहीं बंदा हारे ये खुदा की हरदम ख्वाइश नहीं दी है ताकत परवरदिगार ने तो फिर क्यों हार जाऊ हिम्मत मेरी ये नहीं मन्नत मेरी ♥️ Challenge-484 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
Vaghela Jateen
गुरुर भरी है निगाहें कुसूर मेरा नहीं जब भी खाई हैं चोंट सामने दिखाई दी हैं एक आहट 🎀 जब से तुम्हें देखा 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 🎀 आपने मित्रों के साथ कोलाब करें। 🎀 काॅमेंट में भी "जब से तुम्हें देखा" ही काॅमेंट करना है।
Vaghela Jateen
दिल पे दस्तक दे रहा हु बेवजह ही ख्याल कर रहा हु जानता भी नहीं हु की कौन है मगर फिर भी फिक्र कर रहा हु मै तो हर बार सिर्फ तुम्हारा जिक्र कर रहा हु 🎀 दिल की बात 🎀 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 आज की प्रतियोगिता (Challenge-191) "हम तुम" को जीतने के लिए "दिल की बात" पर कोलाब करना अनिवार्य है। 🎀 चार लेखकों को मिलकर कोलाब करना है और अपने शब्दों में कुछ अनोखा लिखने की कोशिश करनी है। 🎀 Font छोटा रखिएगा जिससे वालपेपर खराब न हो।