दोस्त बनकर इस्तेमाल करने वाला उसकी फ़ितरत हीं है नुमाईश करने वाला मीठा और खुदगर्ज़ बन आपके राज़ जानने वाला आज गरज़ निकल जाने पर औकात दिखा देने वाला तुम जिसे अपनी तकल्लुफ का हमराज कहते थे वो जालिम आख़िर निकला आपकी हीं हसीं उड़ाने वाला आपका भूत और भविष्य मीठा बन जानने वाला दुनियाँ के सामने आपको खड़ा करने वाला भूत, भविष्य तो दूर अपने वर्तमान की परछाई तक को भी आपके पास आहट तक न भटकने देने वाला हम तब भी और अब भी कहते रहे हमेशा ऐ मेरे यार दोस्त होता नहीं अक्सर हर शख़्स हाथ मिलाने वाला ।। रा_One@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ नुमाईश