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जहर ज़िंदगी अब पिलाने लगी है । नये ख्व़ाब मुझको दिख

जहर ज़िंदगी अब पिलाने लगी है ।
नये ख्व़ाब मुझको दिखाने लगी है ।।१

जली रोटियों का करो शुक्रिया तुम ।
तुम्हें बोलना वो सिखाने लगी है ।।२

भरोसा बहुत था तुम्हें आज जिस पर ।
वही आज तुमको मिटाने लगी है ।।३

किसे याद हैं लोरियाँ आज माँ की ।
जिसे बीवियां अब सिखाने लगी है ।।४

ज़रा देख लो तुम कभी उन घरो को ।
जहाँ औरतें मान पाने लगी है ।। ५

कभी जो इशारों में करती थी बातें ।
सुनों अब मुझे वो सताने लगी है  ।।६

मुहब्बत प्रखर से जताकर सनम भी ।
नज़र गैर से फिर मिलाने लगी है ।।७

२१/११/२०२२  -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जहर ज़िंदगी अब पिलाने लगी है ।
नये ख्व़ाब मुझको दिखाने लगी है ।।१

जली रोटियों का करो शुक्रिया तुम ।
तुम्हें बोलना वो सिखाने लगी है ।।२

भरोसा बहुत था तुम्हें आज जिस पर ।
वही आज तुमको मिटाने लगी है ।।३
जहर ज़िंदगी अब पिलाने लगी है ।
नये ख्व़ाब मुझको दिखाने लगी है ।।१

जली रोटियों का करो शुक्रिया तुम ।
तुम्हें बोलना वो सिखाने लगी है ।।२

भरोसा बहुत था तुम्हें आज जिस पर ।
वही आज तुमको मिटाने लगी है ।।३

किसे याद हैं लोरियाँ आज माँ की ।
जिसे बीवियां अब सिखाने लगी है ।।४

ज़रा देख लो तुम कभी उन घरो को ।
जहाँ औरतें मान पाने लगी है ।। ५

कभी जो इशारों में करती थी बातें ।
सुनों अब मुझे वो सताने लगी है  ।।६

मुहब्बत प्रखर से जताकर सनम भी ।
नज़र गैर से फिर मिलाने लगी है ।।७

२१/११/२०२२  -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जहर ज़िंदगी अब पिलाने लगी है ।
नये ख्व़ाब मुझको दिखाने लगी है ।।१

जली रोटियों का करो शुक्रिया तुम ।
तुम्हें बोलना वो सिखाने लगी है ।।२

भरोसा बहुत था तुम्हें आज जिस पर ।
वही आज तुमको मिटाने लगी है ।।३