अब वो मुहब्बत कैसी, जिसमें डर डर क़े जीना है मुहब्बत फ़क्र से होती है, इसमें जहर भी पीना है..! मुहब्बत ज़िंदादिली से होती है, कभी छुपकर नहीं खुलकर कहो मुहब्बत है, इनके साथ ही जीना है..! मुहब्बत रूह से होती है, ज़िस्म की पूरक नहीं है मुहब्बत इक़ ऐतिमाद है, तुम्हें इसी क़े सहारे जीना है..! यें ज़िन्दगी का सफ़र, जैसे यहाँ समंदर में चलना है मुहब्बत से पार जाओगे, देख मुहब्बत इक़ सफ़ीना है..! जिस्म की चमक चंद पलो की मेहमान है ग़ाफ़िल मुहब्बत की उम्र बड़ी है,सभी को इसके साथ जीना है..! मुहब्बत छुपकर नहीं की जाती है, यें इक़ ऐलान है मुहब्बत में सब सुन्दर लगते है,दिखाते है चौड़ा सीना है..! मुहब्बत सबके नसीब में कहाँ लिखा है ख़ुदा नें भी मुहब्बत इम्तिहान लेती है, देख इसमें जहर भी पीना है..!! ©Shreyansh Gaurav #मुहब्बत #Thinking