#जीवनडायरी बेखबर मंजिल तक पहुंचने की ज़िद में भटक से गए इन दरो दीवार में, खो गए मेरे खिलौने बाज़ार में, ले रहीथी आखरी सांसे घरकी दहलीज पर, छूट गया सबकुछ मेरा, देखते रहे अपने सबकुछ देखकर, नीलाम करदिया जहां मेरा पैसे की लत पर, लूटा अपनो ने और दोस्तभी बाकी ना रहे, बेखबर मंजिल तक पहुंचने की ज़िद में। #रूह #दुख #आखरी #जीवन #सच्चाई #life #scrifice