#ChaltiHawaa
दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था
बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी
छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था
मानो बहती हवाँ में विलुप्त था, तृप्त मन हो रहा था
बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी
मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन
मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं #lovequotes#Remember#कविता#Ambitions#Likho#surya#Streaks#merasheher#ManKeUjaale#UskeSaath