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शीर्षक - बहती हवाँ और मैं 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ दृश्

शीर्षक - बहती हवाँ और मैं 
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दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था 
बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी 
छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था 
मानो बहती हवाँ में विलुप्त था,  तृप्त मन हो रहा था 
बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी 
मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन 
मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं 
बहती हवाँ की तेज बहाव करीब आ कर बड़े अदब से कहा- 
मैं रोज तुम्हारे करीब से गुजरती ,ये और बात तुम मुलाक़ात नहीं करते ?”

हवाँ ने कहा -
जब तुम आसमानों में बादलों की चित्रकारी देखते वहां दृष्टिकोण में मैं ही हूँ।
भीनी माटी की सुगन्ध तुम तक पहुँचती वह मैं ही हूँ।

खिड़की पर जब बारिश देखते ,तुम तक बारिश की बूँदों को पहुँचाती मैं ही हूँ।
सुगन्ध से गुलाब के फूलों से परिचित मैं ही करवाती हूँ।
अदरक वाली कड़क मीठी चाय से महक धूएँ बन तुम तक आती मैं ही हूँ ।

तुम्हारे पसंदीदा गानों की धून बन कर मैं ही आती हूँ ।
शर्ट के टूटे हुए बटन में मैं ही उछलती हूँ ।


तुम्हें खिंच पहाड़ों में मैं ही लाती हूँ।
बहते झरनों की आवाज तुम तक मैं ही लाती हूँ।
कभी निशीथ पहर में तुम्हें चाँद तक मैं लाती हूँ 
नदी किनारों में बैठे तुम तुम्हारे पाँव को पानी से मैं ही सहलाती हूँ।
मौसम की बहारों का चित्त मैं ही लाती हूँ 
अभी तुम्हें बारिश की पानी के गीली गीली एहसास मैं ही दिलाऊँगी 
लेकिन तुम्हें मुझे एहसास करने की फुर्सत कहाँ मिल पाती है  🥰
@निशीथ

©Nisheeth pandey
  #ChaltiHawaa 
दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था 
बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी 
छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था 
मानो बहती हवाँ में विलुप्त था,  तृप्त मन हो रहा था 
बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी 
मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन 
मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं

#ChaltiHawaa दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था मानो बहती हवाँ में विलुप्त था, तृप्त मन हो रहा था बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं #lovequotes #Remember #कविता #Ambitions #Likho #surya #Streaks #merasheher #ManKeUjaale #UskeSaath

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