अब फूलों पे भवरें नहीं आते हैं, अब शमा पे परवाने नहीं आते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, त्योहार अब बेमानी आते है| अब पकवान बाजार से आते हैं, अब मिठाई की जगह सब Dairy Milk खाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, घर अब विरान-बंजर नज़र आते हैं| अब दोस्ती चार दिन में भूल जाते हैं, अब इश्क़ झूठा फरमाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, रिश्ते अब स्वार्थ से निभाए जाते हैं| अब ख़्वाब भी बेचे जाते हैं, अब पेशे में बस पैसे कमाए जाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, अकेलेपन में अब साल गुजर जाते हैं| किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi