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अनिता कुमावत
सब मसरुफ़ है .... अपनी अपनी ज़िन्दगी में .... किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Gumnaam
जब जेब मे पैसे, और वक्त बेहिसाब है। किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Ekta Gour
लगता हैं अब रिश्तों के रंग फिके हो चले हैं किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Vineet Sharma
अब फूलों पे भवरें नहीं आते हैं, अब शमा पे परवाने नहीं आते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, त्योहार अब बेमानी आते है| अब पकवान बाजार से आते हैं, अब मिठाई की जगह सब Dairy Milk खाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, घर अब विरान-बंजर नज़र आते हैं| अब दोस्ती चार दिन में भूल जाते हैं, अब इश्क़ झूठा फरमाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, रिश्ते अब स्वार्थ से निभाए जाते हैं| अब ख़्वाब भी बेचे जाते हैं, अब पेशे में बस पैसे कमाए जाते हैं, कोई मिलने नहीं आता है अब, अकेलेपन में अब साल गुजर जाते हैं| किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Guruwanshu
अपने याराने में, सब खुद में ही मस्त है अपने अपने शामियाने में नहीं मिलता समय अब तीज़, त्यौहार पर मिलने का जाने कहाँ व्यस्त हो रहे हे अपने ही आशियाने में क्या तुम्हारा मन नही करता, आने को यारों के जमाने में किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #guruwanshu
Tera Sukhi
भीतर से उदास हुआ था जब अकेला चलता जा रहा था इन राहों में पाया कुछ ना सब छीना जा रहा था देख रहा था अपनी आँखों से उस वख्त थामा तुमने हाथ मेरा बड़ी मुदतों के बाद मिला साथ तेरा शुक्रिया करता हूँ उस रब का दी तुमने रोशनी जीने की खुशयों का एहसास हुआ तब कोई मिलने नही आता अब भीतर से उदास हुआ था जब किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
sanjana ranjan
अपने में ही मगन रहते है सब डिजिटल जमाना है मोबाइल से कर देते है विश और लिख कर भेज देते हैं कर रहे हैं मिस बरसो हो गया दोस्तों के साथ मस्ती का कॉल से मैसेज तक ही रह गया हस्ति रिश्तों का। किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Kesar Ailani
शायद अब वो मेरा पता नहीं जानते। किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
Shalini Maurya
बस किसी के दस्तक का इंतज़ार रहता है। किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #shalinimaurya
Rajnish Shrivastava
दूर तक कोई अपना नजर नहीं आता है अब कभी तो ये दिल मेरा धड़कना भूल जाता है अब क्या करूँ किसको पुकारूँ नजर न कोई आता अब तरस गए हैं नैन मेरे कोई मिलने नही आता है अब भूल से भी इस गली में नाम लेकर पुकारे तो अब चाहते हैं आज भी कोई आकर गले तो लगा ले अब किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों का सारा मज़ा मिलने-जुलने में है मगर अब यह मूल भावना ग़ायब होती जा रही है। #कोईमिलनेनहींआता #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi