...ऊबी हुई जिंदगी को हुनर नया चाहिए.... खेल नया चाहिए ठहरी हुई नदी को बहाव नया चाहिए.. मोड़ नया चाहिए ये मरुस्थल तृषित है युगो से इसकी व्यथा सिरफिरे बादल को समझनी चाहिए ऊबी हुई है जिंदगी