Nojoto: Largest Storytelling Platform
parasramarora4891
  • 3.5KStories
  • 1.6KFollowers
  • 37.0KLove
    9.4LacViews

Parasram Arora

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

हमारी जिंदगी मे जो पहली ख्वाहिश थीं अब वो आख़री ख्वाहिश बन चुकी  है 
.
वैसे भी अब तक़ जिंदगी के सफर मेजो कुछ मिला था  हम उन्हें पाने के बावजूद कभी खुश नहीं हुऐ थे

©Parasram Arora
   ख्वाहिशे

ख्वाहिशे #कविता

153 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

प्रतीक्षा तो उनकी  कल भी थीं 
आज भी  हर पल हर घड़ी 

लेकिन जो दुनिया से  अलविदा कह कर. चले गए    अब वे कभी लौटेंगे नहीं

©Parasram Arora
  प्रतीक्षा

प्रतीक्षा #कविता

144 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

मुहब्बत न सही 
शिकायत ही कर लेते 
आंसू न सही.
आंख ही दिखा देते ll

©Parasram Arora
  #truecolors
1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

अब हर छोटी मोटी बात पर बो रौता नहीं पहले जी तरह 
लेकिन मेरी हंसी मे भी वो कभी साथ देता नहीं 

उसकी फटकार मे भी मुझे प्यार दिखता है 
कितना डांटता  भी है  लेकिन मुझे कभी दर्द होता नहीं

©Parasram Arora
  फटकार y

फटकार y #कविता

144 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

न जाने इस पुरे जगत ने कैसे मान लिया कि अब हमारा इस दुनिया मे कोई वज़ूड ही नहीं है 

समझ lनहीं सके हम कि आखिर एक ज़िन्दा आदमी क़ो उसके जीते जी मरने क़ी  ये झूठी  खबर  न जाने किसने और क्यों  उड़ाई है

©Parasram Arora
  झूठी खबर

झूठी खबर #कविता

99 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

काश मेरे पास अगर होती 
दिव्य  आँखे  तो देख पाता मै 

उस गरीबी क़ो जो  पिघलती रहती है 
जगत के चप्पे चप्पे पर 

और शायद मे तब कामयाब होता 
देखने मे 
उस भूखी नंगी आभावग्रस्त 
मानवता क़ो  

 जो हर कदम 
पर  कुतरती रहती है अपनी पीड़ा क़ो

©Parasram Arora
  दिव्य आँखे

दिव्य आँखे #कविता

144 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

मुझे कभी कभी ऐसा लगता है 
कि जिसने आदमी क़ो  पैदा करके.
इस  भूखंड पर उतारा है 
निश्चित ही उसीने  हमारे लिए दुख गम 
भी  हमारे साथ ही भेजे होंगे
 
कई बार मै ये भी सोचता हुँ 
कि अगर मै जन्म लेने से पहले 
अपनी त्वचा माँ के गर्भ मे ही छोड़ देता 
तो शायद मुझे  दुख और  पीड़ा 
के विष बुझे  बाण न झेलने 
पदते  और न ही तन क़ो सुखी रखने क़ी 
मेरे अंदर प्यास उठ. पाती

©Parasram Arora
  प्यास

प्यास #कविता

153 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

वो अंधेरा तो अभी भी किसी.
जिद्दी प्रेमी क़ी  तरह तुम्हारे 
दरवाज़े पर खड़ा है  जो तुम्हे 
अगले कुछ पलो मे  अपने मे समेट सकता है 

ये घना अंधेरा अपनी सम्पूर्ण समग्रता मे ऐसे लगता है जैसे किसी काली चदरीया के आवरण मे तुम्हे ढक लिया गया हो
शायद 

अंधीयारेा   क़ी इस इस सघनता 
क़ो  ही रात्रि कहा जाता है

©Parasram Arora
  रात्रि

रात्रि #कविता

189 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

पूरी संभावना है कि 
कोई न कोई तो आकर मुझे यहां से लें 
जाएगा  उस असीम दुनिया  मे 
 
जहा  कायनाती  ज़ख्म  निशुल्क 
बांटे जा रहे है 
ये वही स्थान है  जहा हर   नींद सुबह क़ो. जन्म देती है......
शुक्र हैं कि इस राज़ क़ो मेरे सिवाय इस दुनिया मे कोई भी नहीं जानत

©Parasram Arora
   कायनाती ज़ख्म

कायनाती ज़ख्म #कविता

171 Views

1ea54fe7dc8fe9fe4640d49a2d4822c7

Parasram Arora

आज भी शातिर अपराधी और फांसी की सज़ा. पाने वाले हत्यारे 
बाइज़्ज़त  अदालतो से बरी हो
जाते है
लगता है या तो अदालते बदली है या
अपराधो के मापदंड तय करने वाले
मुंसिफ और नयायविद बदल गए है

©Parasram Arora
  न्यायविद

न्यायविद #कविता

36 Views

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile