"चाटुकारिता वह बीमारी है जिससे ग्रसित रोगियों की विवेक धारण की क्षमता क्षीण हो जाती है। वे सही ग़लत में विभेद नहीं कर पाते। वे सही को ग़लत और गलत को सही बताते हैं। सत्य का साथ देने के बजाय उससे विमुख हो जाते हैं। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतवर्ष के आमजन इस बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं। प्रायः इस प्रकार के लक्षण वाले रोगी अथवा चाटुकार राजनैतिक पृष्ठभूमि में विभिन्न राजनैतिक दलों में मिलेंगे। वे चाटुकार अवश्य ही #धृतराष्ट्र रूपी सरकार का साथ निभाने वाले #गांधारी हैं जो आँखों पर काली पट्टी बाँध कर उज्ज्वल सवेरों को काली स्याह अंधेरों में बदलकर देखना चाह रहे हैं।" ©ऋतुराज पपनै #चाटुकारिता #DilKiAwaaz