अपने अंदर के उस मैल को जो दूसरों को खुश नहीं देखना चाहता है , विसर्जित कर देना है अपने अंदर के उस जूनून को जो किसी और को आगे नहीं बढ़ते देखना चाहता है , विसर्जित कर देना है उस ईर्ष्या और द्वेष को , जो दूसरे के चेहरे पर मुस्कान देख कर होती है , विसर्जित कर देना है अंदर अंदर के उस पागल को जो सिर्फ अपना भला चाहता है ।। आज गणपति विसर्जन है। 9 दिनों तक गणेश जी की प्रतिमा को घर में रखने व पूजा कर्म के बाद 10वें दिन उसे जल में विसर्जित कर दिया जाता है। यही गणपति विसर्जन कहलाता है। गणेश विसर्जन एक सांकेतिक क्रिया है। ओशो कहता है कि यह बड़े हिम्मत की बात है कि किसी वस्तु को इतने प्रेम से बनाया जाये और कुछ वक़्त के बाद उसे त्याग भी दिया जाये। वह उदाहरण देता है इस बात का और कहता है कि अध्यात्म मार्ग में जिस ध्यान-पूजा को सबकुछ मानकर मन से लगाये बैठे हो उसे भी एक दिन छोड़ देना है। अर्थात मोह से छुटकारा पाना है। आप क्या विचार करते हैं आप अपने जीवन में किस वस्तु को विसर्जित कर देना चाहेंगे। Collab करें YQ Didi के साथ।