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ना जाने मैं,ज़िन्दगी की कस्ति में कब तक सवार हूँ।

ना जाने मैं,ज़िन्दगी  की कस्ति में कब तक सवार हूँ।
अ  ज़िन्दगी  अस्ल  में, मै  तेरा ही बिमार  हूँ।

जाउंगा   वहाँ  तक,तू ले जायेगी जहाँ  तक ।
तू जितनी हैं इस सफर में,मैं उतना ही बेकरार  हूँ। अ  ज़िन्दगी,,,,
दोस्तो  में  तेरे  यहाँ, दुश्मन  भी  बोहत  हैं।
कांटो से  भरी राहो  में, मैं तेरा तलबगार  हूँ ।
अ ज़िन्दगी,,,,
कहने को तू अपनी हैं,मगर बैरियो कम नहीं।
माना की शायरी हैं तू,नोहरा मैं भी कलमगार हूँ। अ ज़िन्दगी,,

©Suneel Nohara
  अ ज़िन्दगी,,, Anshu writer  अदनासा-  Sethi Ji  R K Mishra " सूर्य "  एक अजनबी