झील सी गहरी थी पर उनमें उदासी भरी थी खूबसूरत थी तुम्हारी आंखे पर कुछ डरी डरी थी होठों पर मुस्कान और आंखो में नमी देखी मैंने तुम्हारे मासूम से चेहरे पर कुछ कमी देखी मैने सच सच बताना सब ठीक है की कुछ कहानियां गढ़ रही हो ना इस खामोशी के पीछे तुम खुद से लड़ रही हो न सच में तुम खुद से लड़ रही हो ना .................. ©seema patidar खुद से बाते , sad shayari