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कुछ पता ही नही चला....... अकेले रहते रहते कब अकेले

कुछ पता ही नही चला.......
अकेले रहते रहते कब अकेलेपन से दोस्ती हो गई
पता ही नही चला........
दर्द सहते सहते कब दर्द की आदत सी लग गई
पता ही नहीं चला..........
भावो में बहते बहते कब भावशून्य हो गई
पता ही नहीं चला ........
 मुस्कुराने का दिखावा करते करते कब गम छुपाने लगी
पता ही नही चला ..........
बहुत ज्यादा बोलते बोलते कब चुप रहना सिख गई
पता ही नहीं चला .......
मैं कब एक खुली किताब से बंद डायरी बन गई
पता ही नहीं चला ..........✍️

©seema patidar #SAD 
पता ही नहीं चला .....✍️
कुछ पता ही नही चला.......
अकेले रहते रहते कब अकेलेपन से दोस्ती हो गई
पता ही नही चला........
दर्द सहते सहते कब दर्द की आदत सी लग गई
पता ही नहीं चला..........
भावो में बहते बहते कब भावशून्य हो गई
पता ही नहीं चला ........
 मुस्कुराने का दिखावा करते करते कब गम छुपाने लगी
पता ही नही चला ..........
बहुत ज्यादा बोलते बोलते कब चुप रहना सिख गई
पता ही नहीं चला .......
मैं कब एक खुली किताब से बंद डायरी बन गई
पता ही नहीं चला ..........✍️

©seema patidar #SAD 
पता ही नहीं चला .....✍️
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seema patidar

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