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छोड़ के सारे कल,बल,छल, आहिस्ता-आहिस्ता चल, ज

छोड़ के सारे कल,बल,छल,
आहिस्ता-आहिस्ता     चल, 

जीवन  है  प्रभु  का उपहार, 
जीवन   के   साँचे   में  ढल,

अंतर्मुख हो कर अवलोकन, 
बाहर   है   काफी   हलचल, 

तन  से  कर भरपूर परिश्रम, 
मिहनत  का  मीठा  है  फल,

जीवन का  संग्राम कठिन है, 
किन्तु   राम    देते     संबल, 

हरि हरते जग की सब पीड़ा, 
बनो  न  मन  से  तुम  दुर्बल, 

कर्म करो पर  रहो अकिंचन, 
माया   मोह   बड़ा   है  खल, 

मन के अंदर  भाव जगे जब, 
प्रेम पुष्प  खिलते  उज्जवल, 

भजले नाम  राम का 'गुंजन',
अंतर्मन   से   पल   दो  पल, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #आहिस्ता-आहिस्ता चल#
छोड़ के सारे कल,बल,छल,
आहिस्ता-आहिस्ता     चल, 

जीवन  है  प्रभु  का उपहार, 
जीवन   के   साँचे   में  ढल,

अंतर्मुख हो कर अवलोकन, 
बाहर   है   काफी   हलचल, 

तन  से  कर भरपूर परिश्रम, 
मिहनत  का  मीठा  है  फल,

जीवन का  संग्राम कठिन है, 
किन्तु   राम    देते     संबल, 

हरि हरते जग की सब पीड़ा, 
बनो  न  मन  से  तुम  दुर्बल, 

कर्म करो पर  रहो अकिंचन, 
माया   मोह   बड़ा   है  खल, 

मन के अंदर  भाव जगे जब, 
प्रेम पुष्प  खिलते  उज्जवल, 

भजले नाम  राम का 'गुंजन',
अंतर्मन   से   पल   दो  पल, 
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #आहिस्ता-आहिस्ता चल#