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shashibhushanmis9249
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Shashi Bhushan Mishra

I am a science graduate from UP. currently working in an Indian multinational pharma company as Sr RBM. I love poetry. I write poems and Gazals.

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Shashi Bhushan Mishra

White बे-रहमी   से   तोड़ा  उसने, 
कलियों को ना छोड़ा उसने, 

बागवान    ठहरा    बेचारा, 
हाथ-पांव तक जोड़ा उसने, 

दो दिन की रोटी भिजवाकर,
पीटा   खूब   ढिंढोरा  उसने,

पत्थर  का  हो  गया आदमी, 
दिल को नहीं झिंझोड़ा उसने,

काट  दिए  कच्चे  नींबु सा, 
काफी  देर  निचोड़ा  उसने,

अरमानों  के  ज़ख़्म कुरेदे, 
मन को रक्खा कोरा उसने,

क़ामयाब मक़सद होने तक, 
दिल पर  डाला डोरा उसने,

ख़ुद से गलती किया ठीकरा, 
औरों  के  सर  फोड़ा उसने,

प्रेमी  बन  हटवाया  'गुंजन',
दूर   राह   का  रोड़ा  उसने,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ• प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #बे-रहमी से तोड़ा उसने#

#बे-रहमी से तोड़ा उसने# #कविता

8 Love

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Shashi Bhushan Mishra

कोठी बंगले खड़े हुए, 
लालच से हैं  भरे हुए,

लगते तो इंसानों जैसे, 
पर  अंदर  से  मरे हुए,

बाहूबली कहाने वाले, 
रहते  हरदम  डरे हुए,

बचपन से यादें संजोई, 
देख  देखकर बड़े हुए,

राज पाट राजा रजवारे, 
मिट्टी  में  सब  गड़े हुए,

शानो-शौकत देखो सारे, 
यहीं  धरा पर  पड़े  हुए,

मोर मुकुट तलवारें सारी, 
हीरा  मोती   जड़े   हुए,

हरि से नाता जोड़े 'गुंजन',
अंदर   बाहर   हरे   हुए,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ• प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #अंदर बाहर हरे हुए#

#अंदर बाहर हरे हुए# #कविता

11 Love

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Shashi Bhushan Mishra

ज़िन्दगी   बदहाल, 
रह   गया   मलाल, 

अधूरे   सब   स्वप्न, 
ख़्वाब और ख़्याल,

मिल    नहीं   पाये, 
गाल  और  गुलाल, 

बीज   का   रहबर, 
खेत  और  कुदाल,

शुष्क   धरती  पर, 
फसल  थी  बेहाल,

घर  में  किलकारी, 
मच  गया   धमाल, 

प्रेम   की    बारिश, 
गुंजन हुआ निहाल,
--शशि भूषण मिश्र 
  'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra #रह गया मलाल#

#रह गया मलाल# #कविता

12 Love

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Shashi Bhushan Mishra

पूछो इंतज़ार कबतक, 
अपनी बारी आने तक,

चलता मन में द्वंद सदा, 
मरघट की तैय्यारी तक,

कबतक दोगे साथ मेरा, 
साँसों की अय्यारी तक,

पहुँचेगा  जलश्रोत कहाँ, 
फूलों की हर क्यारी तक,

हुई  प्रार्थना सफल तभी, 
जब पहुँची वनवारी तक,

ताल्लुक़ात रक्खे दुनिया, 
लेन-देन  से  उधारी तक,

'गुंजन' हाथ पकड़ उसका, 
जो साथ चले गिरधारी तक,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #पूछो इंतज़ार कबतक#

#पूछो इंतज़ार कबतक# #शायरी

14 Love

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Shashi Bhushan Mishra

White शान्त बैठा है  सुलगता  मन, 
चाँदनी से  भर गया  आँगन, 

दर्द  से  राहत मिली मन को, 
कोई आकर मल गया चंदन, 

जब उगा  दिनमान के जैसा, 
रौशनी  से  भर  गया प्रांगण,

चमकता नभ में सितारों सा, 
बहारें   करती  चरण  वंदन,

गर्व  करता  राष्ट्र  का गौरव, 
है तुम्हारा सतत अभिनंदन,

ज्ञान  है  अनमोल जीवन में, 
नमक बिन फीका है व्यंजन,

खिल गई है कली बगिया में,
भ्रमर  का  मनुहार है 'गुंजन',
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #चाँदनी से भर गया आँगन#

#चाँदनी से भर गया आँगन# #कविता

15 Love

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Shashi Bhushan Mishra

घटा सुहानी बन जाती है, 
बात रूहानी बन जाती है, 

दिल से जुड़ जाते हैं रिश्ते, 
रात कहानी  बन जाती है, 

रंगे हृदय जब श्याम रंग में, 
प्रेम  दिवानी  बन जाती है,

है अभ्यास निरंतर जिसका, 
कथा जुबानी  बन जाती है,

दी जाती जो चीज प्यार से, 
एक  निशानी  बन जाती है,

बनकर ही हमराह आपकी, 
दोस्त सयानी  बन जाती है,

मन को भा जाए जो गुंजन,
दिल की रानी  बन जाती है,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #घटा सुहानी बन जाती है#

#घटा सुहानी बन जाती है# #शायरी

15 Love

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Shashi Bhushan Mishra

Person's Hands Sun Love एक ख़त इश्क़ के नाम लिखा, 
दिल से दिल को पयाम लिखा, 

रह-ए-उल्फ़त में चाराग़र ढूँढा, 
हाल-ए-दिल यूँ सरेआम लिखा, 

तेरी दहलीज पे दिल को रक्खा, 
मेरी मंज़िल  मेरा क़याम लिखा,

प्यार की  ज़ुस्तज़ू  से  बाबस्ता, 
हरेक धड़कन पे मक़ाम लिखा,

बड़ा ही  दिलफरेब  था  मंज़र, 
फक़त रस्ते को आयाम लिखा, 

बा-ख़बर  लोग-बाग  कर देते, 
तेरी  चाहत मेरा  इनाम लिखा,

बयाँ शब्दों से क्या करे 'गुंजन',
आखिर में दुआ-सलाम लिखा,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #एक ख़त इश्क़ के नाम लिखा#

#एक ख़त इश्क़ के नाम लिखा# #शायरी

12 Love

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Shashi Bhushan Mishra

Meri Mati Mera Desh इतनी होशियारी  ठीक नहीं, 
बना उल्लू सवारी ठीक नहीं,

ख़ैरियत से  जो  रहे ग़ाफ़िल,  
ज़मूरे का  मदारी  ठीक नहीं,

जला देगा  नशेमन दिलों का, 
इतनी भी खुमारी  ठीक नहीं,

भरोसे  की  बने  दीवार ऊँची, 
फक़त ये पहरेदारी ठीक नहीं,

नकद का सौदा होता अलहदा, 
चुनाँचे   ये  उधारी  ठीक  नहीं,

टूटकर  बिखर  जाते  हैं  रिश्ते, 
नसीहत की बिमारी ठीक नहीं,

इबादत भूलकर  'गुंजन' परेशाँ, 
जहालत की दिहाड़ी ठीक नहीं,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra #इतनी होशियारी ठीक नहीं#

#इतनी होशियारी ठीक नहीं# #शायरी

15 Love

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Shashi Bhushan Mishra

Meri Mati Mera Desh इतनी होशियारी  ठीक नहीं, 
बना उल्लू सवारी ठीक नहीं,

ख़ैरियत से  जो  रहे ग़ाफ़िल,  
ज़मूरे का  मदारी  ठीक नहीं,

जला देगा  नशेमन दिलों का, 
इतनी भी खुमारी  ठीक नहीं,

भरोसे  की  बने  दीवार ऊँची, 
फक़त ये पहरेदारी ठीक नहीं,

नकद का सौदा होता अलहदा, 
चुनाँचे   ये  उधारी  ठीक  नहीं,

टूटकर  बिखर  जाते  हैं  रिश्ते, 
नसीहत की बिमारी ठीक नहीं,

इबादत भूलकर  'गुंजन' परेशाँ, 
जहालत की दिहाड़ी ठीक नहीं,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
         प्रयागराज उ•प्र•

©Shashi Bhushan Mishra
  #MeriMatiMeraDesh
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Shashi Bhushan Mishra

White आरोपों की झड़ी लगा दी, 
लोगों ने फिर तड़ी लगा दी,

देखी गई ख़ुशी ना जग से,
हाथों में  हथकड़ी लगा दी,

ताव लगाना भूल गया वो, 
मूँछों में फुलझड़ी लगा दी,

मूँगफली की फसलें देखी, 
खेतों में गिलहरी लगा दी,

मच्छर ने जब राग सुनाया, 
हमनें भी मसहरी लगा दी,

छू जाए ना दिल को यारों, 
बातों में मसख़री लगा दी,

गुंजन उलझे थे नाहक ही,
खातों में गड़बड़ी लगा दी,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra #आरोपों की झड़ी लगा दी#

#आरोपों की झड़ी लगा दी# #कविता

16 Love

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