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White तुम सोच रही होगी की देह से प्रेम करता है घड

White तुम सोच रही होगी की देह से प्रेम करता है 
घड़ी घड़ी सुंदरता को निहारा करता है 
एक सांस में, बोलता चला जाता है 
अनर्गल सी, सतही प्रशंसा 
होती होगी तुम्हे मेरे प्रेम 
पर संशा।

सत्य तो ये है, मुझे भय है की भीतर की प्रशंशा बड़ी 
कठिन है।
रूप पर रंग पर कविता लिखना तो सरल 
मन पर, अंतस पर कविता लिखना 
कठिन है।
चलो आज  मैं तेरे अंतस पर कविता लिखता हूं 
तुझे जितना भी समझा हूं उतना ही सरंचता हूं 

एक पल में रूठती तो एक पल मनाती 
मेरे हृदय में सत्य मय प्रेम भरती जाती 
मेरे विचार मेरे आचार सवारते जाती 
होंगी कुछ आशाएं मेरी जो शायद तुम ना मानों 
फिर भी हर समय हर भाव( angry love jealousy or desperation any sort of emotions) में तू ही मुझको भाती।

©mautila registan(Naveen Pandey)
  #truelove