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एक चितेरी आशिकी ने मुझ पर वो एहसान किए , ख्वाबों म

एक चितेरी आशिकी ने मुझ पर वो एहसान किए ,
ख्वाबों में को दुनियां थीं,उसके रूप साकार किए।

ऐसी उसकी अदाकारी,उसने अदाओं को चूम लिया,
दिल में जो बसंती बैठी थी,उसने वैसा रूप किया।।

कभी वो मेरी दुनियां में, कभी वो उसकी दुनियां में।
खो जाती वो रंगपरी ,वो रंगों की दुनियां में।।

उसकी दुनियां रंग बिरंगी , मोहब्बत का पैगाम लिए
एक चितेरी आशिकी ने,हम पर वो एहसान किए,,,,

देखो, शरारत धुएं की ,उसने वैसा रूप किया।
दिल में जो बसंती बैठी थी , उसने वैसा रूप किया।।

शायर और कवियों की ,दुनिया  की जो दिल रूबा हैं ।
जिसे परियां कहते हैं,वो एक चितेरी होती हैं।।

वो बनकर एक रंग हसीना ,रंग महल में रहती हैं।
बनकर वो ख्वाबों की मल्लिका, ख्वाबों में जो बसती हैं।।

©Ombhakat Mohan( kalam mewad ki)
  #doori  मुसाफिर (vashu) Keshav Dev Ambika Jha खामोशी और दस्तक "निश्छल किसलय" (KISALAY KRISHNAVANSHI)