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ये कैसा सफर है नहीं कोई मंज़िल, फिर भी कहां हम चले

ये कैसा सफर है नहीं कोई मंज़िल,
फिर भी कहां हम चले जा रहें हैं?
मुकाम -ए -गमों में न सहरा न साहिल,
फिर भी कहां हम चले जा रहे हैं ?

©Mukesh Meet
  #अंदाज़#ए#बयां