न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है , या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । तू ऐसा तो बिल्कुल न था , ज़रूर कोई बात है । बता जरा, तू क्यूँ इतना बदल रहा है । मुझे यक़ीन है , मेरी यादें तेरे दिल में करतीं हैं बसेरा , क्या विचार ? तेरे दिल में मेरे लिए खल रहा है । न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… बता तेरी लगी आदत को मैं भुलाऊँ कैसे , तूने तो समझा लिये ख़ुद को , ख़ुद को मैं समझाऊँ कैसे । एक तू ही है जिसका ज़िक्र , मेरा दिल हर बार करता है , तू नहीं कर रहा अब , इसे मैं बताऊँ कैसे । तुझसे आग्रह है , न कर ख़ाली इस दिल को , जो कभी तेरा घर रहा है । न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है, या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । ©Ravindra Singh न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी… न लेता ख़ैर न खबर कोई मेरी , तू भूल गया है, या मुझे भूलने का नाटक कर रहा है । तू ऐसा तो बिल्कुल न था , ज़रूर कोई बात है ।