हाल ए गम जान कर पलकों की ओट में छुपा ले गया मुझे यानि लोगों की नजरों से बचा ले गया मुझे इस हालात को अपनी हार कहूं या अपनी जीत रूठा हुआ था कई रोज से वो आकर मना ले गया मुझे मुद्दत तक खुद को इक जानदार लाश सा समझता रहा मगर जिस रोज तू मिला चुरा ले गया मुझे किसी के आने जाने से कोई फर्क नहीं उस रोज तो गजब हुआ कहीं से तू आया उड़ा ले गया मुझे इक रोज़ तूफान के मंजर में घिर कर टूट चुका था अचानक दरिया अपने रुख से बहा ले गया मुझे मुद्दत बाद तुझे जी भर कर देखा तो हंसी लब पे आ गई मगर तू अपना हमख्याल बना कर ले गया मुझे 😍😍मेरी इक और नई ग़ज़ल यादों का कारवां😍😍 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक और नई ताजा ग़ज़ल की पेशकश #Roses