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🙎 yaad aaya ki🙎 कुछ रोज़ ये भी रंग रहा तेरे इंत

🙎 yaad aaya ki🙎

कुछ रोज़ ये भी रंग रहा तेरे 
इंतज़ार
 का,
आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे।
बिखरा पड़ा है तेरे ही घर में तेरा वजूद,
बेकार महफ़िलों में तुझे ढूँढता हूँ मैं।
न जाने कब का पहुँच भी चुका सर-ए-मंजिल,
वो शख्स जिसका हमें 
इंतज़ार
 राह में है।
🙎

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  #khayaleishq..