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# कुछ अधुरी ख्वाहिशें तो कुछ अनकह | English Poetry

कुछ अधुरी ख्वाहिशें
तो कुछ अनकहे जज्बात लिखती हूँ।
जो बयाँ ना हों इन लबों से कभी,
हाँ मैं वो दर्द भरे अल्फाज लिखती हुँ।
कुछ अल्हड सी यादें और वो मद्धम सी बरसात लिखती हूँ,,
जो हुई थीं सपनों मैं कभी तुम संग,
हाँ मैं वो मुलाकात लिखती हूँ।
जमीं पर बैठकर आसमां लिखती हुँ,
geet1681307216276

Gargi writes

Bronze Star
New Creator

कुछ अधुरी ख्वाहिशें तो कुछ अनकहे जज्बात लिखती हूँ। जो बयाँ ना हों इन लबों से कभी, हाँ मैं वो दर्द भरे अल्फाज लिखती हुँ। कुछ अल्हड सी यादें और वो मद्धम सी बरसात लिखती हूँ,, जो हुई थीं सपनों मैं कभी तुम संग, हाँ मैं वो मुलाकात लिखती हूँ। जमीं पर बैठकर आसमां लिखती हुँ, #Poetry #Trending #poem #writer #nojohindi

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