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अब आइना देखकर डर जाते क्यों खुद को तन्हा पाकर घबड़

अब आइना देखकर डर जाते क्यों
खुद को तन्हा पाकर घबड़ाते क्यों 
अकेले आए थे जाना भी अकेले है
ज़ख्म के हरियाली पे तरस खाते क्यों
अब आइना.…...
इस कर्म क्षेत्र में स्वतंत्र ही तो आए हो
फिर खुद को इतना तड़पाते क्यों
फल ईश्वर के हाथ में है कर्म तुम्हारे
फूल की चाहत है तो कांटा बुआते क्यों
अब आइना.......
कुछ तो आत्म मंथन करना चाहिए
बिना गुरू के ज्ञान पर इठलाते क्यों
अधूरा कुछ भी खतरनाक ही होता है
"सूर्य" खुद को इतना भटकाते क्यों
अब आइना.......

©R K Mishra " सूर्य "
  #आइना  Neel Sethi Ji Puja Udeshi अभिलाष द्विवेदी (अकेला) Umme Habiba