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घर से उठाए झोला मुसाफ़िर चल पड़ा अपने मुकाम में भट

घर से उठाए झोला मुसाफ़िर चल पड़ा अपने मुकाम में
भटकते हुए छोटे बड़े रास्तो से तलाश ए मंजिल के लिए चाहे सफर हो मुश्किल या आसान
कहीं दिन हो या कहीं पर रात

कभी घनघोर तारों की छांव या चांदनी नहलाती हो पांव
या सुबह सुबह सूरज चुमता हो रुखसार

कहीं पर छाया हो कोहरा
और दिखाई ना देता हो आगे का रास्ता
घर से उठाए झोला मुसाफ़िर चल पड़ा अपने मुकाम में
भटकते हुए छोटे बड़े रास्तो से तलाश ए मंजिल के लिए चाहे सफर हो मुश्किल या आसान
कहीं दिन हो या कहीं पर रात

कभी घनघोर तारों की छांव या चांदनी नहलाती हो पांव
या सुबह सुबह सूरज चुमता हो रुखसार

कहीं पर छाया हो कोहरा
और दिखाई ना देता हो आगे का रास्ता
vandana6771

Vandana

New Creator

चाहे सफर हो मुश्किल या आसान कहीं दिन हो या कहीं पर रात कभी घनघोर तारों की छांव या चांदनी नहलाती हो पांव या सुबह सुबह सूरज चुमता हो रुखसार कहीं पर छाया हो कोहरा और दिखाई ना देता हो आगे का रास्ता #YourQuoteAndMine #yqkanmani #रोमांचक_जीवन