कितने साल हो गए तुम्हें गये हुए कभी होठों पे मुस्कान तो कभी दर्द लिए हुए चिराग -ए- उलफ़त का जला कर सो गए कभी वो एहसास तो कभी वो जज्बात लिए हुए तन्हाई है संग जिन्दगी में बिखर गए रंग वो रात ढल गई तेरी याद वो बरसात लिए हुए आज भी उन यादों में ताजगी है जख्म हरे हैं जिन्दगी में तेरी कमी लिए हुए ऱाह - ए - दहर में तुम कहीं खो गए कभी फ़रियाद तो कभी कोई सवाल लिए हुए ?? ऱाह -ए-दहर ----जीवन की राह चिराग-ए-उलफ़त ----मोहब्बत का दिया 🎀 Challenge-186 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।