कन्हैया सब कुछ छोड़ मुझे है, तेरे पास आ जाना धन, दौलत, शोहरत नहीं चाहिए, कोई खजाना मुक्ति, भक्ति, विरक्ति आसक्ति मुझे न समझाना मैं बर्षा की एक बूंद, तू विशाल समंदर सा मेरा ठिकाना पतवार है तेरे हाथ, मेरी जीवन नैया तू पार लगाना फल- फूल, धूप- दीप, नैवेद्य तैयार आकर भोग लगा जाना आंखें मूंद जो तेरा ध्यान धरु, हो जाए आरती पूजा अर्चना तेरी अलौकिक छवि देख, पूरी हो जाए मेरी आराधना नैनों से बहती अश्रूधारा, श्रद्धापूरित हृदय का हर एक कोना एक तेरे दर्शन खातिर मन में, भक्ति की जोत है हर पल जलाना विनती है बस इतनी रहे सदा स्मरण,जो प्रभु तेरा हर रूप मैने है पहचाना जब तक मिले ना लक्ष्य अनश्वर, भंवर में भी साथ निभाना ©Sudha Tripathi अनुज Yashpal singh gusain badal' Vivek.....