#ramnavmi
आल्हा छंद मुक्तक
रामायण प्रसंग -जामवंत का हनुमान जी को आत्मबोध करना
जामवंत कहते बजरंगी, चुप बन बैठे क्यों पाषाण।
भूले हो क्यों अपनी क्षमता, किसमें है तेरा कल्याण।।
न हो सके जो तुमसे बोलो, कठिन कौन सा ऐसा काम।
नहीं जगत में तुमसा कोई,दूजा स्वीकारो हनुमान।।
दीर्घकाय पर्वत से होकर,लिए शक्ति अपनी पहचान।
चुका सके ऋण अनुदानों का, जीवन कर अपना बलिदान।।
जो कुछ भी कर पाए उसका , नहीं कभी मन में हो दम्भ ।
सिंहनाद करके फौलादी,ले संकल्प किये प्रस्थान।।
*सुधा त्रिपाठी* #भक्ति
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Sudha Tripathi
#BooksBestFriends
31.
साधना जैसे मन को शांति और स्थिरता देता
वैसे ही किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता
पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो कि पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो....
जीवन की सुगमता का कारण, पुस्तकों को बतलाकर
चरित्र निर्माण हेतु नैतिकता सिखलाकर,
रात्रि विश्राम से पूर्व जो स्वाध्याय कर लेता
उनको किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता
पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो की पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो....
सर्वांगीण विकास है करती, सामाजिकता की राह दिखाकर
सुख आनंद भंडार भर देती,ज्ञान सुधा की नित्य बहाकर
कठिन सवालों को सुलझाएं जो,नित्य अध्ययनकर्ता
उनको किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता
कि पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो....
बचपन से आखरी साँसो तक, राह हमें दिखाती
राष्ट्र निर्माण कर पुनर्जागरण कर, संस्कृति संरक्षित करती
नवचेतना का संचार कर, युग परिवर्तन कर देता
वैसे ही किताबों का अध्ययन, ज्ञान से भर देता
पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो.... #कविता