इन पेड़ों से रिश्ता है मेरा कभी हर सुबह आता था सबसे पहले तलाशने एक आम जो पानी मे होता उसे पाकर जितनी खुशी मिलती उसे बता पाना मुश्किल है आज इनकी हालात पे रोना आया सिर्फ ठूंठ रह गयी है अब लोग इंतज़ार में है गिर जाने का शायद जलावन की दरकार होगी तू गिरना नही मुझे तुम्हे देखना हा अच्छा लगता है तू मेरी दादी सी है शायद दादा ने तुझे सींचा होगा तू रहना अभी सालों साल जब घर जाऊं तो तुझे देखना है हमे महशुस करना है ©ranjit Kumar rathour तू रहना अभी