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तन्मया तुम तराश कर करवर के कंदराकर को,

तन्मया तुम तराश कर करवर के कंदराकर को,
                  अंतर्मन में अवजनित अनिवर्ती ज्वारीय लहरों से।
सन्नद्ध होकर करो तलाश स्वयं में ही स्वयं को,
                  अमित आह्लाद में परिष्यंद इन आशातीत चेहरों से।
मनन चिंतन कर ठानो जीवन के गंतव्य को,
                  छोड़ दामन दूर चलो उन अंधविश्वासी गाँव-शहरों से।
प्रतिबंधों की तोड़ बेड़ियाँ प्रास्त करो आलस्य को,
                  उन्मुक्त करो खुदको आधारहीन सामाजिक पहरोंं से।
ध्यान लगा लक्ष्य पर केंद्रित करो एकाग्रता को,
                 निर्लिप्त होकर यश-अपयश में तुम बनो गूंगे-बहरों से।
अनासक्त बन तत्पर रहो कब्जाना अगर मंजर को,
                  सर्वचारी समुद्र हो तुम त्यागो निस्बत नदी-नहरों से।
चलना काँटों की कठोर डगर अगर पाना प्रसून को,
                  अन्ततः मिलेगा सुधा-रस तुम मत घबराना जहरों से।
सुख-दुख कालचक्र है समझ इस जीवनसत्य को,
                  जलाकर लौ अंतर में तुम बनना अभिसर अघहरों से।
निःस्वार्थ सेवा में करके सर्वस्व न्योछावर वतन को,
                  प्रयासरत्त आजीवन लड़ना होगा चुनौती की कहरों से।
मिटाकर डर जिगर से चीर तक़दीर की छाती को,
                  उठाओ कलम करो पहचान अंकित अक्षर सुनहरों से। Dedicating a #testimonial to my little champ Dr. Shailja Prajapati a lady with aptitude and passion
#dr_naveen_prajapati 
#शून्य_से_शून्य_तक
तन्मया तुम तराश कर करवर के कंदराकर को,
                  अंतर्मन में अवजनित अनिवर्ती ज्वारीय लहरों से।
सन्नद्ध होकर करो तलाश स्वयं में ही स्वयं को,
                  अमित आह्लाद में परिष्यंद इन आशातीत चेहरों से।
मनन चिंतन कर ठानो जीवन के गंतव्य को,
                  छोड़ दामन दूर चलो उन अंधविश्वासी गाँव-शहरों से।
प्रतिबंधों की तोड़ बेड़ियाँ प्रास्त करो आलस्य को,
                  उन्मुक्त करो खुदको आधारहीन सामाजिक पहरोंं से।
ध्यान लगा लक्ष्य पर केंद्रित करो एकाग्रता को,
                 निर्लिप्त होकर यश-अपयश में तुम बनो गूंगे-बहरों से।
अनासक्त बन तत्पर रहो कब्जाना अगर मंजर को,
                  सर्वचारी समुद्र हो तुम त्यागो निस्बत नदी-नहरों से।
चलना काँटों की कठोर डगर अगर पाना प्रसून को,
                  अन्ततः मिलेगा सुधा-रस तुम मत घबराना जहरों से।
सुख-दुख कालचक्र है समझ इस जीवनसत्य को,
                  जलाकर लौ अंतर में तुम बनना अभिसर अघहरों से।
निःस्वार्थ सेवा में करके सर्वस्व न्योछावर वतन को,
                  प्रयासरत्त आजीवन लड़ना होगा चुनौती की कहरों से।
मिटाकर डर जिगर से चीर तक़दीर की छाती को,
                  उठाओ कलम करो पहचान अंकित अक्षर सुनहरों से। Dedicating a #testimonial to my little champ Dr. Shailja Prajapati a lady with aptitude and passion
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#शून्य_से_शून्य_तक

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