उसने कहा इतनी नफरत क्यूँ मैने कहा 'ग़लत' से इतनी मोहब्बत क्यूँ उसने कहा समझ ना पाओगे मैने कहा उलझा ना पाओगे जानता हूं चंद लोग है बांटने वाले इनकी वज़ह से दिल मे भेदभाव रखूं क्यों सच तो सच है कैसे झूटलोगे गलत को गलत कहने मे, सहूँ क्यूं मोहब्बत से हक़ बात के लिये बुलंद रहो सह रोज जा रहे हो फिर भी चुप्पी क्यूँ झूंठ को सच मान कर कैसे खामोश रहूँ कबूतर की तरह बिल्ली को देख आँख मुंद कर कैसे रहूँ तरीक़े सारे है तुम्हारे पास सब को ख़ामोश करने के शायद बोल के मर जाऊंगा, डर के जिंदा रहूँ क्यों मेरा बोला शायद इतना दूर तक ना जायेगा मग़र जो लिखा है मैंने, मेरी मौत के बाद ज़रूर पढ़ा जायेगा जय हिंद-- अली राशिद हसरत ©Ali Rashid Hasrat #Happy Dashara