दिसंबर की विदाई बडा ही कडाई महसूस होती है भर-भर आंखे रोती है तेरे समय में जो भी सिखा खट्टा-मीठा,नमकीन,और तिखा सब मैंने स्वीकार किया सफल साल जो मिला मुझे ये तुने उपकार किया तेरी लख-लख बधाईयां ओ ऊपर वाले मूझे सफल साल दी करके प्याले बडी ही रंगीन रही ये साल मेरी। सुख दुःख समेटा खुशियां बांटी कुछ सिखा और कुछ सिखाया भी बड़ी ही महीन रही ये चाल मेरी।। बड़ी ही रंगीन रही ये साल मेरी।। दिसंबर की विदाई कवि-राहुल कुमार दिसंबर की विदाई