इश्क़ का दौर था तब भी, इश्क़ का दौर है अब भी । कसक कुछ और थी तब भी, दिल का शौर है अब भी । मैं चाहत को नगमो में सुना देता मगर सुन ले. #झूठा_यार_मेरा_था किस्सा जो तुम्हारा था वो पुरा हो नही पाया था ।। राधा सा अधूरा है मीरा सा वो पागल है । गीतासार सा पुरा है गंगा सा वो निर्मल है । बस तुम जान लो मेरे प्रेम की वो परिभाषा तुलसी सा वो पावन है कान्हा सा वो चंचल है ।। मैं अपने गीत गजलो से तुम्हे पैगाम करता हूँ । #नजराना_प्यार_का लिखकर मै सुबह ओ शाम करता हूँ । मैं गाता हूँ, मैं लिखता हूँ, भटकता हूँ मोहब्बत मे और दुनिया ये समझती है कि मैं भी आशिकी करता हूँ..!! ©पूर्वार्थ #इश्क #दौर_ए_ज़िन्दगी #नोजोटोहिन्दी