गजल अंधेरों की आदत देखी उजालों से बगावत देखी फानी इस दुनियाँ में दौलत की चाहत देखी जिंदगी के दरवाजों पर मौत की आहट देखी जीवन भर दुख देखे पल भर राहत देखी गांव शहर बस्ती बस्ती लोगों मे अदावत देखी हमने खून के रिश्तों मे'आलम' सदियों से कड़वाहट देखी मारुफ आलम सादियों से कड़वाहट देखी/गजल