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कतर कर ज़ेब, अपनी ही वो मुझे मालामाल करता रहा उसकी

कतर कर ज़ेब, अपनी ही
वो मुझे मालामाल करता रहा
उसकी ख्वाहिशों में था मैं
फिर भी उसे बदनाम करता रहा
पता चला मुझे भी, बाद में
जब बेटे की जेबें भरता रहा
वो भी पिता मैं भी पिता
 ख़ुद से आज सवाल करता रहा पिता
पिता
कतर कर ज़ेब, अपनी ही
वो मुझे मालामाल करता रहा
उसकी ख्वाहिशों में था मैं
फिर भी उसे बदनाम करता रहा
पता चला मुझे भी, बाद में
जब बेटे की जेबें भरता रहा
वो भी पिता मैं भी पिता
 ख़ुद से आज सवाल करता रहा पिता
पिता