चल ख़्वाब देखते हैं, हसीन इस मंज़र पर अपना साथ देखतें हैं हक़ीक़त में रही जो दास्ताँ अधूरी, उस कहानी को एक नया मुक़ाम देतें हैं जो मिले ना क़िस्मत तेरी मेरी, जाकर सिफ़ारिश चाँद से करतें हैं सितारों को भी बहला फुसलाकर, वस्ल की रात मुक़म्मल करतें हैं चुनकर ख़्वाब फिर प्यार का, तुम और मैं ‘हम’ बनकर रहतें हैं (शेष कैप्शन में पढ़ें) चल ख़्वाब देखते हैं, हसीन इस मंज़र पर अपना साथ देखतें हैं हक़ीक़त में रही जो दास्ताँ अधूरी, उस कहानी को एक नया मुक़ाम देतें हैं जो मिले ना क़िस्मत तेरी मेरी, जाकर सिफ़ारिश चाँद से करतें हैं