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I feel like a rose, plucked off from my dear ones. Hurting you was never my intention; it was the stern duty of my thorns that guarded & protected me, for they knew I opened my heart to every soul I connected with. Yet, you dared to pick me up, caressed my soft petals, kissed me once, kept me in your attic & never saw me again with the same warmth. You treasured me like your very own achievement, feeling proud, you had the Rose! And then there were just stolen moments, as you visited occasi- onally but didn’t care enough to notice that I was withering away without your love! Was acheiveing me your only goal? 💔 32/366 #love #heartbreak #rose #withering #drglove #drgpoems #yqbaba
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नहीं खेलती मैं तुझसे कोई खेल बेगानों का, नज़र-अंदाज़ कर तुझे फिर पास बुलाने का नहीं आता मुझे यूँ झूठा सा रूठ जाना, हठ कर फिर तुझसे अपनी बातें मनवाना बोल देती हूँ तुझसे जो जी में आता है हरदम, नहीं आता मुझे अल्हड़पन में तुझे सताना जाने दे रहीं हूँ तुझे इस नादाँ प्यार के ख़ातिर, नहीं आता मुझे धमकी देकर तुझे रोक लेना #प्रेम #नज़रअंदाज़ #yqdidi #yqbaba #drgpoems
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मिटाया तुमने मुझको अपनी ज़िंदगी से इस क़दर, मौत ने मिटाया हो निशान गुनाहों का जिस क़दर। यूँ छू कर गुज़रा था मोहब्बत का कारवाँ, मानो पतझड़ ने किया था ख़्वाबों को रवाँ। सूखे शजर पर बैठी रहीं उम्मीद की टहनियाँ, जड़ो की कमज़ोरी सुना बैठी ज़ाहिर सी दास्ताँ। हवाओं ने रुख मोड़ा फिर सर्दियों की ओर, ठंड में ठिठुरती रही इश्क़ की वो डोर। जला कर जज़्बातों को नफ़रत की चिंगारी में, अस्तियों को विसर्जित कर दिया आँखों के द्वारे। मुल्ज़िम को रिहा कर, छोड़ दिया मुक़द्दर के आगे, इंसाफ़ करेगा ख़ुदा एक रोज़, नहीं वो ख़ुदा से आगे। #इंसाफ़ #ख़ुदा_की_अदालत #कर्म #yqdidi #yqbaba #drgpoems
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कितना ज़रूरी होता है ख़ुद से प्यार करना.. किसी की जीवनी बनने से पहले, अपनी दास्ताँ ख़ुद लिख जाना.. (अनुशीर्षक में पढ़ें) कितना ज़रूरी होता है ख़ुद से प्यार करना.. किसी और की तकलीफ़ को मिटाने से पहले, भीतरी कोलाहल को बारीकी से समझना.. न जाने कितनी दफ़े अपनी ख़ुशी को नकार कर किसी की मुस्कान बने हो.. अखियों के कोर में समुंदर छुपा,
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जी चाहता है कि हो एक रात ऐसी भी कभी, मैं खोयी रहूँ ख़ुद में और तुझे मेरा इंतिज़ार हो बेक़ाबू हो जाए मन तेरा जब मिले ना कोई ख़बर मेरी, जागे तेरी आँखें भी और सपनों को मेरा इंतिज़ार हो तड़प की पीड़ क्या होती है कभी तू भी तो सहना जानाँ, आँसू में बहे ख़याल कयी और मुस्कान को मेरा इंतिज़ार हो डरे तू भी मुझे खोने से कभी ऐसा भी एक मक़ाम आए, तेरी पुकार में हो नाम मेरा और लौटने का बस इंतिज़ार हो #इंतिज़ार #तड़पन #पीड़ #yqdidi #yqbaba #drgpoems Photo credits: skogshymn instagram handle
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अब जो आओ मेरे शहर, दो पल की फ़ुर्सत संग लाना, इत्मिनान से बैठें हम तुम, ऐसी इक़ घड़ी संग लाना हँस दे रोती आँखें भी, तुम अपनी बातें संग लाना, तुम बिन जीना सीखा दे जो, वो नुस्ख़ा संग लाना अलविदा कह सकू तुम्हें, मेरी हिम्मत संग लाना, आख़िरी मुलाक़ात है ये, कोई बहाना ना बनाना जानती हूँ मसरूफ़ हो, पर एक लम्हा दे जाना, जाते जाते एक मुस्कान में ही, मेरी मोहब्बत संग ले जाना #फ़ुर्सत #मिलन #आख़िरी_मुलाक़ात #अलविदा #मोहब्बत #yqdidi #yqbaba #drgpoems Photo credits: skogshymn instagram handle
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ज़रा उधार रखना ये बेबसी दिल की, आलम ये जुदाई का बस होने को है रोके रखना अब जज़्बात अपने दिल में, आगाज़ मोहब्बत का बस होने को है बांधे रखना शब्दों को नज़्मों में कहीं, दास्ताँ-ए-इश्क़ बयान बस होने को है नज़रों में रहने देना अक़्स मासूमियत का, गुनाह अब होंठों से कुछ होने को है हर साँस में भरना ये एहसास हमारा, कि हिज्र की शाम अब होने को है #हिज्र #जुदाई #मोहब्बत #yqdidi #yqbaba #drgpoems
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धड़कन की सरगम कैसे सुनोगे अब जानाँ, लापरवाह तेरा अन्दाज़ गुनगुनाने नहीं देता मसरूफ़ियत का बहाना ठीक नहीं है जानाँ, रह रह कर इक़ ख़याल मुझे सोने नहीं देता बेदिली का आलम क्या जताऊँ तुझसे जानाँ, रूखा तेरा रवैया खुलकर मुस्कुराने नहीं देता कहानियों में अपना वजूद ढूँढ रही हूँ जानाँ, माज़ी के दरवाज़े अब खटखटाने नहीं देता नज़्म लिखकर तुझे याद कर रही हूँ जानाँ, डायरी में तेरा ज़िक्र फूट कर रोने नहीं देता मिलकर बिछड़ना क्या इतना ज़रूरी था जानाँ, तुझ बिन ये पागल दिल चैन से जीने नहीं देता कैसे अब चुप रहूँ तेरी इस बेहिसी पर जानाँ, लाइलाज मरज़ सुकूँ से मरने भी नहीं देता #बेहिसी #लापरवाह #रूखापन #मोहब्बत #yqdidi #yqbaba #drgpoems #latenightthoughts
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मृत्यु की बात तुम करते हो, क्या देखी है तुमने वो दुनिया? कहते हो जीवन बोझ है, मिटने पर मिलेगी सुकूँ की शय्या स्वर्ग की बात तुम करते हो, क्या देखी है तुमने वो दुनिया? कहते हो सुख वहीं है, मिटने पर मिलेगी मख़मल की शय्या (शेष अनुशीर्षक में पढ़ें) मृत्यु की बात तुम करते हो, क्या देखी है तुमने वो दुनिया? कहते हो जीवन बोझ है, मिटने पर मिलेगी सुकूँ की शय्या स्वर्ग की बात तुम करते हो, क्या देखी है तुमने वो दुनिया? कहते हो सुख वहीं है,
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ना जाने किसका चेहरा है, उस आवाज़ के पीछे, ना जाने किसकी तलब है, उस तड़पन के पीछे है मोहब्बत उसकी गहरी, मिर्च सी बोली में, है ज़ख़्म से वो लाचार, उस मुखौटे के पीछे अंखियों के कोर में छुपा, इक़ नादाँ सा आँसू, बिलख रहा वो भी, किसी जज़्बात के पीछे ज़ेहन में क़ैद कर, यादों का सन्नाटा, लब चुप रहे, चीखती खामोशी के पीछे रातों में लड़ता, अकेलेपन का कोलाहल, बेचैन कुछ ख़याल करते, इन करवटों के पीछे अनजानों में खोजता, किसी अपने की छवि वो, रह जाता अकेला, तर्क-वितरकों के पीछे ठहर जाती मैं साथ उसके, इक़ उम्र के लिए, पर है कुछ झूठा वो, कुछ सच के पीछे #अजनबी #whoareyou #yqdidi #yqbaba #drgpoems